बीते हफ्तों में काफी कुछ ऐसा गुजरा है जो आने वाले वक्त में हर किस्म के मीडिया का चेहरा बदल सकता है। ये खुद की गलतियों से सीखने का समय है। अगर एक चैनल को एक महीने के लिए बंद करना सही है तो एक लड़की की मौत से भी कई सच्चाईयां सामने आई हैं। देखना है कि आने वाले समय में कितना सीखता है मीडिया। बहरहाल बीते हफ्तों में कई ब्लागरों ने मीडिया पर काफी कुछ लिखा। कुछ चिट्ठे।
मीडिया से जुड़े लोगों से विन्रम निवेदन
मिडडे पत्रकारों को 4 माह की सजा: देखिए उन्होंने लिखा क्या था?
जरा ध्यान दें
क्या मीडिया में महिला होना गुनाह है
बुद्धू-बक्से की पत्रकारिता और राष्ट्रीय शर्म
सितारों को मिला सही सबक
ब्लॉग का फैलता महाजाल
करात का रहस्य : इंडिया टुडे
नहीं
औकात में रहे मीडिया और उनके नुमाइन्दे
हल्की होती राजनीतिक रिपोर्टिंग...
हंसी क्यों इतनी मंहगी
हम बातें कम, प्रवचन ज्यादा करते हैं
रेडियो समाचार: अखबार व आम आदमी के प्राण
और खबर फैल गयी
मीडियायुग
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Saturday, September 22, 2007
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