Sunday, October 22, 2006

हफ्ता गुजरा टीवी पर (17-23 october)

फैसला आ गया। इंसाफ भी मिला। टीवी पर पिछले कई महीनों से बैनरों, पोस्टरों के साथ मशाल जलाते, चिल्लाते पीड़ितो के रिश्तेदारों को दिखाते टीवी कैमरों के सामने जब संवाददाता ये बता रहे तए कि संतोष सिंह को अब सजा मिलेगी तो देखने वाले का मन खुश हुआ होगा। दुखी केवल कैमरो से बचते दोस्त ही दिखे। शरीयत को स्टूडियो से घेरते टीवी चैनलों को तब राहत मिली होगी जब इमराना के ससुर को दस साल की सजा सुनाई गई। कैमरे पर इमराना असमंजस में थी। क्या पति के साथ अब वो रह पाएगी। बहस इस पर कम हुई। दिन था धनतेरस का, सो टीवी पर बाजार और सामान ज्यादा दिखा। ये बिकावली थी। लोग खरीद रह थे, कार, घर, घरेलू उत्पाद और कपड़े। टीवी को उपभेक्ताबाद का पालकीवाली कहा गया। दीवाली थी, सो खरीदारी भारतीय परंपरा रही। इस सबके बीच केवल एक दो चैनलों ने भूख और सूखे से मर रहे परिवारों की दास्तान से शहरी जायका बिगाड़ा! यही सच है। शहर और गांव का अंतर टीवी साफ दिखाता है। अब तो गांव की खबर को एक्सक्लूजिव माना जाना तय हो चला है। उधर शहरों में जी रहा आम आदमी बेचने पर उतारू है। कुछ भी। देश की सिक्योरिटी से जुड़ दस्तावेज भी, एक हवलदार गिरफ्तार हुआ, एक सेना का जवान भी । दोनों के पास खुफिया दस्तावेज थे। हां, खुफिया खबरों, यानि स्टिंग आपरेशन पर जरूर उच्चतम न्यायलय ने आपत्ति जताई। कहा सब पैसे का खेल है। है। पर कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार। डरा कर ही सुधारा जा सकता है । कम से कम टीवी तो यही मानता है। एक से एक भायानक स्क्रिप्टें, एक से एक खतरनाक म्यूजिक। स्टिंग के निर्देश को लेकर चैनलों में बेचैनी देखी गई। कुछ ने इसे कर्मकांड मानकर चलाया ही नहीं। कुछ ने दीवाली मानकर खूब चलाया। चलिए खबर दिखी तो ।स्टिंग जारी रहेगे, यो तो तय है। जनता भी सुख लेती है, पर सोचना विषय और तरीके पर है। सारे चैनलों ने दीवाली पर हंसी की ठिठोली दिखी। मानो पूरा भारत खुश है और टीवी दख रहे है। पर फिल्म वाले की नजर टीवी पर जरूर है। डान और जानेमन को लेकर टीवी चनत सरपरस्त रहे। किसी ने डान को भला बताया कि तो किसी ने कहा कि जानेमन ही बेहतर है। और इसे देखने को भारतीय दर्शक विवश। दिशाहीनता है कुछ खबरों को जगह चाहिए। बहस चाहिए पर बहस इस पर होती है कि मर्द को क्या चाहिए? जवाब भी मिला ।पर दिया शहरी भारतीयों के स्वनामधन्य प्रवक्ताओं ने। टीवी पर अंधविश्वास की जगह भी बढ़ती जा रही है। हर दिन आपको कोई न कोई फंतासी कहानी चाशनी के साथ पेश की जाती है। भरपूर वातावरण के सथ । आप भी क्या करें। हमेशा भूत से डरते आए है, सो देखते रहिए चैलन नम्बर बन पर भूत नम्बर वन। खैर दीवाली मुबारक । बाकी मनोरंजन के लिए टीवी तो है ही।

'सूचक'
soochak@gmail.com
Send your write-ups on any media on "mediayug@gmail.com"

No comments: