Monday, October 16, 2006

हफ्ता गुज़रा टीवी पर( 9 -16 अक्टूबर)

टीवी ने हस्तियों के जन्मदिन को अपना जन्मदिन मान लिया है। उनका जन्मदिन वे खुद कम मनाते है टीवी ज्यादा मनाता है। पर पूरा हफ्ता शोक भरी खबरों का ज्यादा रहा। डेंगी और चिकनगुनिया ने देश को हिलाया। मौतें सौ से ज्यादा हो चली है। टीवी पर एक तरह के विजुअल, एम्स के इर्द गिर्द घूमते रहे कैमरे। उधर दलितों को ताकत का तकाजा देने वाले नेता कांशीराम सिधार गए। तमाम कार्यक्रमों में वे नजर आए। जाने के बाद। कहते है सत्ता जाने के बाद पार्टियों में फुटमत बढ जाती है। सो शिवसेना का हाल देखिए। सड़क पर भाई वाले समर्थक भिड़ गए। राज ने कहा देख लेंगे। टीवी पर भिडंत के नजारे लोगों को देखने को मिले। उधर गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि यूसी बनर्जी कमिटी अवैध है। टीवी इसे चलाता रहा। यूएन में भले ही शशि थरूर न पहुच पाएं हो, पर टीवी पर छाए रहने वाले योगगुरू रामदेव गरीबी पर दुनिया को समझा आए। देश में भी गरीबी हटाओ को लेकर सरकार कुनमुनाती रही। टीवी पर इस खबर को गरीब ही मान लिया गया। अमीर देश में बसे भारतीय अपनी बौद्धिकता के नजारे देते रहते है। बुकर मिला। अनीता देसाई को द इन्हेरिटेंस आप लॉस में भारत है और प्रवासी भारतीय भी। जो आजकल टीवी पर कम दिखता है। खैर मौसम प्रवासी भारतीय दिवस के आसपास लहलहाता है। विदेशी चेहरे जरूर दिखे पर वे देश में है। शूटिंग जारी है। कवरेज भी। शूटिंग की कम टक्कर की ज्यादा। आधे आधे घण्टे ये चलता रहा। एक खबर ने एक फैसले को लेकर चल रही बहस को एक दिशा दी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि फांसी माफी, क्लिमेंसी, को किसी भी धार्मिक आधार या बिना सोचे समझे नहीं दिया जाए। सो अफजल का मामले में बढ़ी सरगर्मियां टीवी पर दिखी। खेल है। क्रिकेट को लेकर टीवी में स्लगों, कार्यक्रम के नामों, में लगा चैम्पियन बनने की जंग छिड़ गई। उधर मैच फिक्सिंग का भूत जाग उठा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी हर्शल गिब्स दिल्ली पुलिस मुख्यालय में आए। हाई कमिश्नर के साथ। पूछताछ हुई। कहा कि हां मैं शामिल था। पर खेलते रहेंगे। खैर दिल्ली पुलिस ने अभी तक किसी भारतीय खिलाड़ी से पूछताछ की जहमत नहीं उठाई। और न उसक पास किसी खिलाड़ी या सटोरिए के खाते में भेजे गए पैसे के कोई सबूत है। सबूत इसके जरूर मिले कि पुलिस कमिश्नर के दबाव में एक इंस्पेक्टर ने आत्महत्या की। स्युसाइड नोट में लिखा कि कमिश्नर वजह है। वजहें ये भी तलाशी जा रही है सबसे तेज चैनल दूसरे नंबर पर क्यों आ गया। साफ है दर्शक समाचार और खबरे देखना चाहता है हर दस मिनट पर एड नहीं। सो तहलका को लेकर किए गए अपने धमाके के बाद नंबर वन बना चैनल अभी पहले पायदान पर है। कब तक। ये भी प्रचार ही तय करेंगे। खबरे नहीं। क्यों है न!

'सूचक'
soochak@gmail.com

Send your write-ups on any media on "mediayug@gmail.com"

1 comment:

Anonymous said...

YES,EDUCATED LOT LIKE US SHOULD CONDEMN SUCH ACTION BY THE POLICE AND HARASSING SUNITA AND HER FAMILY.

OUR SUPPORT WITH ALL SUCH INDIVIDUAL'S IS THERE WHO ARE TRYING TO BRING A CHANGE IN OUR SYSTEM.

WE ARE WITH YOU.......