साथियों,
बहुत छोटे में बात रखना चाहूंगा। दरअसल, पिछले काफी वक्त से दिल्ली में काम कर रहे कुछ पत्रकार, लेखक इस बात को बहुत शिद्दत से महसूसते रहे हैं कि कम से कम दिल्ली से चलाए जाने वाले राष्ट्रीय मीडिया में अब स्पेस न के बराबर रह गई है, खासकर जनपक्षीय और जनदिशा को लागू करने वाली खबरों और लेखों-फीचरों के संदर्भ में।
ऐसे में एक बड़ा सवाल हम सभी के सामने यह था और आज भी कमोबेश उसी रूप में बना हुआ है कि आखिर बड़ी पूंजी के अभाव में एकजुटता के आधार पर ही क्या खबरों, लेखों और फीचरों को जनसंचार के माध्यमों तक पहुंचाना संभव है। यदि हां, तो क्या ऐसे प्रयोग पहले हुए हैं...हां, पता चला कि पचास के दशक में किन्हीं विद्वान पत्रकार ने वैकल्पिक मीडिया नाम से कोई आंदोलन शुरू किया था...पता नहीं अखबार या पत्रिका के रूप में या किसी और। आगे इस काम को आनंदस्वरूप वर्मा ने बढ़ाया, लेकिन किन्हीं कारणों से यह रुक गया। हम सभी इसकी ज़रूरत महसूस करते हैं और भावनात्मक तौर पर साथ होते हुए भी अपनी-अपनी दाल-रोटी के चक्कर में रहे-रहे भूल जाते हैं।
ऐसे में एक बार फिर करीब कुछ पुराने, कुछ बीच की पीढ़ी के और हम जैसे कुछ नए लोगों ने तय किया है कि ऐसा कोई ढांचा विशुद्ध जनवादी स्वरूप में खड़ा किया जाए जो मीडिया को वैकल्पिक सूचनाएं लेखों, फीचरों और संभव हो तो ख़बरों के माध्यम से पहुंचा सके। इस कार्य में तकनीक का बड़ा हाथ होगा, चूंकि प्रबंधन की शब्दावली में कहें तो कॉस्ट कटिंग के लिहाज से यही इकलौता तरीका है। हमारे साथ अपने-अपने दायरों और सीमाओं में लिखने-लड़ने वाले प्रसिद्ध और अनुभवी से लेकर नए उत्साही पत्रकारों का सहयोग है और हम चाहते हैं इस कार्य को शुरू करने से पहले एक बार आप सबकी मंशा और समझ को लिया जाए।
एक गुज़ारिश यह है कि आप वैकल्पिक मीडिया के बारे में अपनी सोच और कल्पना का एक खाका रखें। दूसरे, चूंकि हम देर नहीं कर सकते, इसलिए यदि इच्छुक हों तो अभी से ही अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में हमारे पास लेख/फीचर/स्टोरी/रिपोर्ताज/साक्षात्कार भेजें जिसे हम जारी कर सकें। कोशिश करें कि शब्द सीमा 1000 के भीतर ही रहे और विषय चाहे जो भी हो, एक न्यूनतम जनदिशा उसमें प्रतिबिंबित हो। हमारी कोशिश रहेगी कि हम आपको वाजिब मेहनताने के रूप में प्रति लेख मानदेय राशि दे सकें, लेकिन हम यह कब से कर पाएंगे, इस पर हम भी बहुत साफ नहीं हैं चूंकि सारा मामला अख़बारों से आने वाले पारिश्रमिक पर ही टिका है। कोशिश करें कि आपकी रचनाएं कृति देव फॉंट में ही हों चूंकि हम इसी फॉंट में लेख जारी करेंगे। यह सर्वसुलभ है और चाणक्य में कनवर्ट भी हो जाता है।
हमें उम्मीद है कि आप इस कार्य में अपनी सम्मति देंगे और अपने सुझावों/रचनाओं से हमारा सहयोग करेंगे। फिलहाल, सुझाव और रचनाएं भेजने के लिए आप निम्न ईमेल आईडी का उपयोग कर सकते हैं-
vaikalpik.media@gmail.com
संपादक मंडल की ओर से
अभिषेक श्रीवास्तव
7 मार्च 2007
Thursday, March 08, 2007
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