वाह रे टीवी। खेलते खेलते बोल्ड हो गया। क्रिकेट को बेचने वाला टीवी बिना रम बनाए आउट हो रहा है। जिस आंधी तूफान से टीवी ने भारत को विश्व कप पताका लहराने भेजा था, उसी वेग से अब वो भारतीय क्रिकेट टीम को गरिया रहा है। राहुल गलत है यो सहवाग, ये एसएमएस पर तय किया जा रहा है। सबका निशाना बनने वाले ग्रेग चैपल भी प्रयोगधर्मिता की आड़ में छुपे है। बौखलाया देश पर्दे पर दहाड़ रहा है। दरअसल उसकी उम्मीदों को हवा, या कहें तूफान देने वाला टीवी अब शाट लगाकर अचानक कैच होने की स्थिति में आ गया है। दोष किसको दें। टीम को या प्रदर्शन को या टीवी को। देखने वालों को खेल, खेल न समझाकर, खेलोन्माद में ले जाकर टीवी अब पाला बदल रहा है। वो अब बता रहा है कि फलां कमी रह गई। औऱ जब टीम भारत से जा रही थी, तो राग संगीत गा बजाकर ऐसा दिखा रहा था कि टीम नहीं टीवी ही मैदान पर खेलने जा रही है। खेलती भी है। पिच, बल्ले, स्टम्प, औऱ टी-शर्टों पर छपे प्रचार टीवी पर दिखाने के लिए ही तो छापे जाते है। वरना कमेन्ट्री में क्या छपा, क्या खुदा। तो जनता ने पोस्टर जलाए, नारे लगाए। लानत भेजी। और बैठ गए चैनल बदलकर। पर आज भी वो न चाहते हुए टीवी पर अपने क्रिकेटिया सितारों को देखेगी। और जीत या हार के बाद उन्माद ही पैदा करेगी। खेल को उन्माद बनाने, खेल को युद्ध बनाने औऱ खेल को जीत ही बताने वाला टीवी अब फिर पाला बदलेगा। न यकीन हो तो अगली जीतों में खुद ही देखिएगा।
सूचक
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1 comment:
बढिया है पहले खुदा बनाओ फिर जब खुदा ना चले तो उसी की कब्र खोद डालो!
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