Monday, May 07, 2007

टीवी के तीन चेहरे

दहेज हत्या, बच्चों की जान की चिंता और आज का दिन जानिए। बीते दिनों में टीवी पर ये तीनों ही छाए रहे। दिल्ली और आसपास के इलाकों में दहेज को लेकर एक अजब सा माहौल पनपता जा रहा है। कई कई सालों से शादीशुदा जोड़े अपनी शादी को तोड़ने पर आ गए है। क्यों। जीवन के तनावों को दूर करने का माध्यम अब शहर को लोग पैसे को मान चुके है। ज्यादा पैसा कम परेशानी। किसी के पास चार पहिया नहीं है, तो किसी को धंधे के लिए और पैसे चाहिए। सो जब उन्हे अपने आसपास से पैसा नहीं मिलता, तो वे समाज की एक ऐसी कुरीति का दामन थामते है, जिससे वे परिवार को दांव पर लगा रहे है। टीवी पर दहेज अत्याचार से जुड़ी खबरे आई, लेकिन किसी में भी गहनता से ये नहीं दिखाया गया कि असली वजह क्या है। पर जिस एक वजह को टीवी ने दिल से छुआ, वो रही देश भर में इलाज की वेदी पर सिसक रहे बच्चों की। कही किसी के दिल में छेद है, तो कही किसी को कैंसर। कही कोई अनाथ रेल के डिब्बे में पड़ा मिला, तो कही उसे अपनाने की ललक समाज में दिखी। कुल मिलाकर इस सारी पेशकश में एक चरित्र तो साफ हो गया कि भारत में भावनाए अभी भी बहती है। टीवी ने कम ही बार इसे समझा और दिखाया है। लेकिन इससे गाहे बगाहे भला उनका हो जाता है, जो सचमुच किसी की मदद करना चाहते है, या हैसियत में है, लेकिन शुरू कहां से करें, ये नहीं जानते। कुल मिलाजुलाकर इस सारे फसाने ने एक दर्द को हवा दी है, कि बिलखते बच्चों का कोई तो खैर करें। टीआरपी की चाह के बावजूद भी ये सराहनीय रहा। और भविष्यगामी भी। भविष्य बांचने वालों की तो चांदी हो चली है। हर चैनल पर वे बहस रहे है। आज आपका दिन रहेगा, ऐसा, वैसा, कैसा। लेकिन ज्योतिष और तमाम भविष्य बांचने वाली विधाओं को स्टूडियों की चांदनी में पेशकर टीवी चैनल देश को किस ओर ले जा रहे है, पता नहीं। क्या देश की आधुनिक पीढ़ी इसे देखना चाहती है, या एक प्रोफेशनल अपने काम को अब राशि और रत्नों से आंकने लगे। क्या देश की राजनीति अब ग्रह नक्छत्र औऱ कुंडली के हिसाब से अपनी जननीतियां तय करें। या किसी घर में क्या पके, ये भी अब राशिवक्ता बताएंगे। बुरा है। बहकाव है। आप किसी भी ग्यान पर भरोसा कर सकते है, अंधविश्वास नहीं। देश को आगे ले जाने वाली खबरों की जरूरत है। देश को ये देखना है कि सुबह सवेरे कैसे प्रकाश जीवन को बदल रहा है। कैसे ग्रह नक्छत्र नहीं। मैं अतिश्योक्ति नहीं बांच रहा हूं। आप आनलाइन या एसएमएस सर्वे करा लीजिए। नतीजे आ जाएंगे। वैसे हां ये जरूर सत्य है कि ऐसे तमाशे चलते रहे तो आने वाले दिनों में तमाम समाचार चैनल विरोधियों को पछाड़ने के लिए यग्य, मंत्रोच्चार आदि कराने लगे। ऊं आजतकाय नम, ऊं स्टार न्यूजाय नम आदि आदि। वैसे मजाक ही सही, पर क्या किसी चैनल से किसी खबर को दिखाने के लिए किसी ज्योतिषाचार्य से पूछा कभी। नहीं न। तो क्या जरूरत है, जनता को हर दिन सचेत करने की। ऐसे देश में जहां कर्मण्येवाधिकारस्ते जपा जाता हो, वहां रोजाना कर्म से ज्यादा भविष्य को बताना घातक ही होगा। वैसे टीवी को जरूर आ पड़ी है इसकी जरूरत। यानि जल्द ही आपको चैनल विशेषग्य पंडित मिलने लगेंगे।

सूचक
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