पत्रकार और मीडिया का नाता श्वास और जिंदगी का है। दोनों के लिए एक उद्देश्य होने पर ही समाज का हित होता है। लेकिन वक्त बदलता गया और दोनों ने अलग अलग राह धर ली। आज पत्रकार एक शून्य में जीता है और पत्रकारिता बाजार में। खैर हमने जब चिट्ठाजगत को खंगाला तो बीते दिनों में ये लेख हमें भाएं।
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मीडिया का गिद्धभोज
श्श्श्श्श… मुस्लिम
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खबर क्या है?
गिरफ्तारी से मालामाल हुआ हनीफ
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राजा साहब का थोबड़ा टी.वी. में.
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2 comments:
इतनी मेहनत पर कोई टिप्पणी नहीं. क्यों?
हमें इंतजार था। पर पता नहीं क्यों। क्या मीडिया इतना हल्का हो चुका है कि लोग उसपर लिखे लेख को भी हल्का लेने लगे हैं। बहरहाल जारी रहना ही जिंदा रहना है।
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