एक हफ्ता छोटा नही होता। मालूम है एक दिन में अस्सी से सौ खबरें खत्म हो जाती है। एक हफ्ते में अनुमान के तौर पर एक हजार खबरे। इनमें से ढाई से तीन सौ नई खबरें होती है। बाकी किसी की पूंछ तो कोई किसी का सिर। यानि फालो अप एंड रेगुलर अप। अप का जमाना है। सो हिमेश का अप सुर तीखा हो चला। सुरूर का गुरूर हो गया। नाक में वे गाते है पर नाक पर घमंड आ गया। घमंड ने अंधों पर लाठिया बरसाई। पुलिस को अधिकार है इस देश में कानून को अंधा करने का। सो पिटिए। टीवी ने इसे पीटा। सो गृहमंत्री ने कहा गलती हो गई। हो गई। पर दलित को मारा जाना गलती नहीं होती। जानबूझकर मारा जाता है। जान की कीमत तो वैसे भी नहीं है। सो मारे जाना तब तक खास नहीं होता, जब तक वो संख्या में ज्यादा हो या मुआवजा न मिले। मुआवजा मिला अभिषेक को। यश भारती पुरस्कार। बधाई हो। पिता के करम पर। दोस्त अमर सिंह धरम निभाते रहते है। चुनाव है भईया। देखिए चुनाव भी कितना लोकतांत्रिक हो चला है। जेएनयू में अमेरिकन छात्र चुना जता है। बढ़िया है। वैसे चुना तो था स्वेता ने भी राहुल को। पर टीवी और उससे पहले एक अखबार ने छापा। पीटा। स्वेता ने कहा नहीं पीटा। पर क्या टीवी को यही बच गया बताने को। बताइए। कि कैसे लोग मारे जा रहे है। देश में। मुंबई में गाड़ी चढा दी जाती है। गुड़गांव में सीरियल किलर पकड़ा जाता है। कारण कोई नहीं खोजता। कारण भष्टाचार का भी नहीं खोजा जाता। पर याद किया गया। मंजूनाथ को। याद है आपको। इण्डिन आयल का इंजीनियर। पेट्रोल माफियाओं द्वारा मारा गया। उसे एक टीवी चैनल ने याद किया। अच्छा लगा। पैसा पाना सभी को अच्छा लगता है। पर ऐश को ये मंहगा पड़ा। उनसे पूछताछ की गई। कहा गया कि वे निर्दोष है। निर्दोष पाकिस्तान के साथ फिर बाचतीत जारी हुई। रिकार्ड बनाएंगे हम बातचीत का। रिकार्ड टूटते है। सो खेल में दो युवकों ने सचिन-कुंबले का तोड़ा। ये देखना अच्छा लगा। टीवी इस पूछताछ में जुटा रहा कि भारतीय कितना बेसब्री से कैसीनो रोयाल का इतजार कर रहे है। नीली आंखो वाला, सपाट चेहरे वाला जेम्स बांड। ने काफी रिव्यू कराया अपना। खैर तेलुगू भी बोलता है ये जेम्स बांड। पर सरकारी भाषा बोलना सीखना हो तो मंत्रियों से सीखिए। देखिए ने हमारे पासवान साहब का घर, उनके बेटे का टेलिफोन बिल तक सेल ने भरा। औऱ वे अनजान बने रहे। चलिए मंत्री जी।जनता सब जानती है। जनता ने भी जाना कि ट्रेड फेयर में क्या क्या बिकता है। खिलौने, जूते, आइटम्स और चौंतीस देश के गलियारे। खूब भीड़ जुटी रही। खबर भी आती रही। खबर ये भी आई कि सीलिंग चलती रहेगी। पर टीवी के लिए ये रेगुलर खबर हो गई है। फालो अप जारी है। फालो अप बालीवुड वाले करते रहे है हालीवुड का। जैसे रानी ने किया, रानी मुखर्जी ने, उनके बाडीगार्ड ने पीट डाला। जैसे देश में मौजूद ब्रेंजेलिना, ऐसा ही कहता है टीवी ब्रैड पिट और एंजेलिना जोली को, का बाडीगार्ड अपना एक्शन दिखाता रहा है। सो एफआईआर दर्ज हुई। औऱ जमानत भी। जमानत। देते रहिए टीवी को।
'सूचक'
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6 comments:
यथार्थता से परिपूर्ण लेख ।
इस प्रकार के लेखन को भी कोई नाम मिलना चाहिए जैसे कविताओं में कुण्डली आदी होता है.
पूरे सप्ताह की सभी प्रमुख घटनाओं का बख़ूबी विवरण दिया है। लेकिन पूरा सप्ताह टीवी पर क्यों गुज़ारते हैं? सप्ताह के बीच में भी तो कुछ लिखा कीजिए।
बहुत ही उम्दा लेख. इससे ज्यादा कहने के लिए मेरे पास श़ब्द ही नहीं है.
संजय भाई, इसे कच्चा चिट्ठा टी वी का कहें, तो कैसा लगे. बहुत बढ़ीयां लिखा है.
मित्रों,
हम हिंदी में आपके लेखों का स्वागत करते है। हमारी उम्मीद है कि मीडिया में उठ रहे मु्द्दों पर आपकी नजर ही आईना होगी। हमारा विचार विमर्श आगे बढ़े, इसके लिए आपकी सहभगिता महत्वपूर्ण है। मीडियायुग एक शुरूआत है, जो अपना अंत जानता है। एक ऐसे फीडबैक व्यवस्था की कामना हमने की है, जिसके सामाजिक उत्तरदायित्व हो, जिसका सरोकार खबरों से हो, अंतरालों में आने वाले एड से नहीं। जब आपकी खबर ही नजरिया बनाए और उससे ही समाचार दिखाने वाले चैनलों की तस्वीर बनें।
उम्मीद है कि आपकी सहभागिता हमें सफल बनाएगी।
मीडियायुग
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