Monday, December 03, 2007
मनोरंजन जगत में रूका तूफान
कहीं दीप जले कहीं दिल। ये बात आज आपके सामने मौजूद सात हिंदी मनोरंजन चैनलों से समझी जा सकती है। सात कौन-कौन। स्टार प्लस, ज़ीटीवी, सोनी, सब, स्टार वन, सहारा वन और डीडी वन। कुछ ज्यादा ही ‘वन’ हो चले है। ये बात दीगर है कि जिसके नाम के साथ ‘वन’ जुड़ा है, वो अभी तक नम्बर ‘वन’ के पायदान से कोसों दूर है। पिछले कई सालों से कुछ चैनलों की बादशाहत से अब जाकर दर्शकों को कुछ निजात मिली है। क्या इसे नयापन भी कहा जा सकता है। शायद। बीते दिनों एक नए चैनल के एयर होने और अगले महीने एक के आने की खबर से बाजार में हलचल बढ़ी है। दरअसल स्टार प्लस की कई सालों की बादशाहत को चुनौती देने वाले भी इसी समूह से निकले दो लोग है। यानि नब्ज और समझ दोनों के स्तर से वाकिफ। 9 एक्स चैनल ने पहले दस्तक दी। 12 नवम्बर को ये चैनल नौ बजे से आने लगा। तीन बड़े कार्यक्रमों की फेहरिस्त के साथ। तीनों की कहानियों में किरदार मध्यम और उच्च वर्ग की आकांक्षाओं के चेहरे थे। यानि फार्मूला पुराना था। वैसे भी दर्शकों को जिस फंतासीपन की आदत लग गई हो, उसे ही परोसना सधा सौदा होगा। जिया जले, कहें न कहें, मेरे अपने जैसे सोप ओपेरा देखने की आदत अब हमारे संपन्न घरों को लग चुकी है। हां, चैनल का दावा बेहतर प्रोडक्शन वैल्यू देने का है। यानि ज्यादा लाइटिंग, ज्यादा कास्ट्यूम और ज्यादा मेकअप। गांव में रहकर शहर के सपने, शहर में रहकर संबंधों का षड़यंत्र और प्रेम की कई नायाब डेफेनिशन गढ़ना। हो सकता है प्रतिभाओं की तलाशनो की उनकी मुहिम ‘मिशन उस्ताद’ से दो चार लोग कुछ दिनों के लिए हर जुबान पर चढ़ जाए, लेकिन अंत सबको पता है। जीवन की सचाईयों के आगे सब फसाने कुछ पल के लिए ठहरते है। लेकिन सीरियल दर सीरियल एक अलग दुनिया गढ़ने की कारीगरी में लगे है।
टीवी मनोरंजन में डीडी के स्वाभिमान, जूनुन से जो प्रयोग किए गए वो आज क्योंकि सास भी...कहानी घर घर की.. से आगे आते हुए मेरी पचासवीं शादी में आइएगा जरूर तक जैसे कार्यक्रम प्रोमो तक आ चुकी है। खैर इस दौरान जिस फार्मेट ने टीवी मनोरंजन को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचाया है, वो रहा रिएल्टी शोज का। यानि मधुर आवाज की खोज वाले कार्यक्रम। इनकी कड़ी लंबी है। सारेगामापा से लेकर स्चार वायस आफ इंडिया तक। इससे ही जुड़ा है सेलिब्रिटी को गाने और नचाने के प्रोग्राम। इसे हिट फार्मूला मानते हुए आज भी आने वाले चैनल इसे आजमा रहे है। तो देखते रहिए 9x का धमाल एक्सप्रेस और इंतजार करिए मिशन उस्ताद का।
जिस आने वाले चैनल का बाजार को इंतजार है, वो एनडीटीवी समूह का शुद्ध मनोरंजन चैनल होगा। एनडीटीवी इमेजिन। यानि कल्पना। कल्पना करिए कि क्या क्या परोसा जाएगा इस चैनल पर। दोस्ती, दरार, कामेडी, इमोशन और ड्रामा। तो नया क्या होगा। हर चैनल पर तो यही दिखता है। चैनल का मानना है कि वो हर कुछ परोसेगा। लेकिन अलग अंदाज में। अलग अंदाज। चलिए मान लेते है। ये तो तभी तय होगा जब इसे पसंद या खारिज किया जाएगा।
लेकिन ये सारे संकेत क्या कहते है। क्या भारतीय टीवी का मनोरंजन अपने सीमित दायरों में फैल कर बढ़ने का इंतजार करेगा। या एक समय पर एक जैसे कंटेंट के जरिए लोगों में एक तरह की भावनाए तरंगे पैदा करेगा। या इसे अपनी रचनात्मकता के लिए हमेशा विदेशी कांसेप्ट्स को देसी रंग में बेचना भाता रहेगा। या ये शहर और गांव के बीच एक नई दुनिया बसाकर भुलावा पैदा करना जारी रखेगा। ये सवाल इस टीवी के मनोरंजन के कर्ता धर्ताओं से है। यानि से सवाल आम समझ रखने वाले दर्शकों के है। हमारे जैसे आम दर्शक।
टीवी चैनलों के प्रसार से दर्शक और उत्पाद दोनों को भारी फायदा हुआ। दोनों ने अपने अपने तरीके से इसे लिया। बाजार ने हर घर और दिमाग में सीधी पहंच बनाई, तो दर्शक को अपने खाली समय में मनोरंजर की एक ठीक ठाक खुराक मिली। ये अलग बात है कि उसके सपनों की बुनियाद को केन्द्र में रखकर ही ज्यादातक कार्यक्रमों ने टीआरपी, टीवीआर बटोरी। लेकिन इस दौरान उसे एक हकीकत से दूर ऱखा गया। टीवी मनोरंजन के फसाने में फंसने के बाद वो अपनी जिंदगी के ताने बाने से कट सा गया। बिल्कुल सिनेमाहाल में बैठे दर्शक की तरह। बाहर बरसात हो या धमाका। वो गुम है पर्दे की बनाई दुनिया में। पर्दे का सुख उसका, दुख उसका।
टीवी मनोरंजन से जो उम्मीदें है, वो अभी मरी नहीं है। वो वास्तविकता के करीब तो है, पर वास्तविक नहीं। सो आने वाले वक्त में बोरियत भरे सीक्वेंस से बेहतर वो देखना होगा, जो सच है। अमीरी और गरीबी के बीच का सच। ये किसी तरह की समाजवादी मांग नहीं है। ये वक्त के दायरे में दिखाए जाने वाले धुंधले आइने में सच दिखाने की गुजारिश है। आज भी इस देश में डिस्कवरी और एनजीसी जैसे चैनलों की व्यूवरशिप करोड़ों में है। तो क्या खुद के बनाए समाज को जानने में क्या दर्शक की रूचि नहीं होगी।
खैर। सपनों की दुनिया में आने वाले वक्त में कई दावेदार एक साथ एक ही केक में हिस्सा बांटने के लिए चिल्ल पौं मचाएंगे। और इसे देखना दर्शक की खुशी और गम दोनों होगा। जाहिर है हर चैनल अपने लिए एक नया दर्शक वर्ग खड़ा करने में कोई न कोई नया कदम उठाएगा। और तय जानिए इसके ठीक बाद दूसरा चैनल उसी वर्ग को वैसे ही कंटेंट के साथ काटेगा।
बहरहाल देखते रहिए इस मनोरंजन को। और मनोरंजन जगत में रूके इस तूफान को भी। दरअसल टीवी दुनिया को भी एक ऐसे तूफान का इंतजार है जो उसके दर्शकों की संख्या को यकायक बढ़ा दे। और सीधी बात है इस तूफान से जुड़ा है बाजार और प्रचार।
Soochak
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