Monday, December 25, 2006

हफ्ता गुजरा टीवी पर(11 - 17 दिसम्बर)

शादी है। आइएगा जरूर। पर कुत्तों की। जी हां। वैन्यु था जयपुर। पर बारातियों के अरमान टीवी ने धो डाले। जिस देश की राजधानी में एक दिन में तीस हजार इंसान शादियां कर रहे हो। तो कुछ कुत्तों के मालिकों को आइडिया आ ही गया होगा। डाग प्रोडक्टस के लाखों के प्रायोजक भी तो इस शादी को बढ़ावा दे रहे थे। चलिए। टल गई शादी। भला हो टीवी का। जो पार्टियों में मारपीट को दिन भर का मसाला बनाने की कुव्वत रखता है। युवराज की पार्टी। किम के जलवे। और एक मां और बेटा की दिन भर की दास्तान। खैर शाम को सब निपट गया। माएं समझौतावादी हो गई। दर्शक फुस्स। दिन भर को सोच कर मलाल होता होगा। चलिए एक दिन तो हड़ताल में भी जाया हो गया। देश बंद का नारा था। लाल झंड़ों में क्रांति लाने वाले टीवी पर छाए रहे। अच्छा है। पर राजधानी दिल्ली में वे उग्र हो गए। कोलकाता में परंपरा मनती रही। परंपरा आईटी विभाग, इनकम टैक्स भई, भी निभा रहा है। अमिताभ अस्पताल में थे तो नोटिस भेजा था, इस बार निशाने पर है अनंत गुप्ता के पिता। कैसे दिए पचास लाख। सवाल ठीक है। पर टीवी पर पिता ने जवाब नहीं दिया। क्या देता। जवाब टीवी ढूंढता भी नहीं। नहीं तो एक एसीपी ने क्यों मार डाले कैद में रखे गए दो मासूमों को। पर सजा पर हल्ला मचाना आता है टीवी को। एसीपी को मौत। टीवी को खबर। खबर लखनऊ से उठी। गनर वापस लो। नेता हो या विधायक। वीसी की चली। चलिए हास्टल में अब शांति रहेगी। शांति उन दिलो को भी मिली जो टीवी पर दिन रात बाल दल बाल बल्ला दर बल्ला भारत की जीत मांगते है। मिली। जोहानिसबर्ग में। साउथ अफ्रीका के खिलाफ। पर जीतने की मंशा दोहा के कमजोर दिखी। किस पायदान पर रहा भारत ये कम ही जाने। टीवी मे भी कम ही जनाया। खैर जानिए। और देखते रहिए टीवी..

'सूचक'
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