Wednesday, December 06, 2006

हफ्ता गुज़रा टीवी पर ( 21-30 नवम्बर)

किस्सा क्रिकेट का। यही हाल रहा है टीवी पर, हर कोई क्रिकेट में हारने को ऐसे प्रस्तुत कर रहा था जैसै देश युद्ध में हार गया हो। सीमित सोच। क्रिकेटरों पर ये इल्जाम था कि वे खेलते कम प्रचारों पर ज्यादा डोलते है। ग्रेग चैपल पर कि वे तो बहक गए है। सासंदों पर बोल गए। पर टीवी ये भूल जाता है कि इन खिलाड़ियों को फर्श से अर्श पर वो ले जाता है। देश की नब्ज बनाता है। और जब कभी कभी आर्टिलेरी में खेल का खून जम जाता है तो स्थिति को हार्ट अटैक बताकर कोहराम मचाता है। मचाने दीजिए। हर कोई चिल्ला रहा है। सहरानपुर में भाजपा वाले, संसद में बसपा - सपा। वजहें राजनैतिक है। ताकतवर भी। कानपुर में अम्बेडकर की मूर्ति विखंडित की गई। महाराष्ट्र में असर देखा गया। दलित आंदोलन भभक उठा। टीवी पर टायर, बस, स्टैण्ड जलते देखे गए। स्क्रीन पर आग जल उठी। संबंधों की आग। कुछ अलग ही होती है। हर दिन कोई न कोई संबंध तार तार होता है टीवी पर। पर भला हो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का।' किस' किया। देश की सबसे अमीर महिला किरण मजूमदार शाह को। तमाशा बन गया। वैसे पेज थ्री के इस कल्चर को देखना बड़ा सुहाता है। पर टीवी ने इसे हिपहाप कल्चर की देन कहा। वो भी राजसी परिवार की देन बताकर। चलिए बड़े लोग है। टीवी पर भगवान बनते दिखाया जा रहा है। एक शख्स नागपुर के। कहते है वे भगवान है। टीवी इन्हे दिखाकर प्रशंसक पैदा करता है। प्रशंसको को धूम-2 के खूब प्रोमो देखने को मिले। म्यूजिक चैनलों पर नहीं। न्यूज चैनलों पर। देखिए ऐश की पिछली फिल्म - उमराव जान- आनी थी तो अभिषेक-ऐश साथ साथ डोल रहे थे। इस बार ऐश के साथ पूरा परिवार था। बच्चन परिवार भाई। समाचार चैनलों ने पूरी शेड्यूल ही बता डाला। इतने पे उड़े, इतने पे उतरे। इतने पर मुडे और इतने पे झुके। कमाल है। कमाल तो रामदेव बाबा का भी है। पूरे देश में योग की लहर फैलना वाले वाचाल बाबा गांधी पर बोल गए। टीवी पर देखा गया। शायद लोकतंत्र का फायदा है। बोल गए तो बोल गए। बोला संजय दत्त ने भी भगवान से प्रार्थना कीजिए। की गई। सो आतंकवादी नहीं, कांस्पिरेटर नही, केवल नाजायज हथियार रखने के दोषी। चलिए पाप से प्राइश्चित बड़ा। पर मलाल न होने वालों को सजा मिल जाती है। शिबू सोरेन को दोषी पाया गया। अपने निजी सचिव की हत्या के मामल में। सांसद थे। है। और शायद रहे भी। पर उनका क्या जो बेच रहे है। अपने सरकारी आवास के कमरे। किराए पर। क्या चाहिए। सम्मान, पैसा या टीवी पर दिखने का बहाना। भगवान जाने। भगवान ये भी जानता है कि दाउद कासकर इब्राहिम कहां है। हर हफ्ते टीवी उन्हे खोजता है। बताता है। पर बीते दिनों दस लोगों को लाया गया। वे डी कंपनी से जुडे थे। जुड़ाव महत्वपूर्ण होता है। फिल्म का दर्शक से। आयोजन का जगह से। तभी को इंटर नेशनल फिल्म फेस्टिवल आफ इण्डिया गोवा में जब मनका है तो गोवा की आबोहवा लोगों को खींच ले जाती है। इस बार भी पैंतीसवें महोत्सव में कई अच्छी फिल्में देखी गई। टीवी पर देखकर अच्छा लगा। अच्छा लगा कोलकाता और कई सांसदों को कि सौरभ गांगुली लौट आए है। बल्ला चलेगा। तो वे भी तल जांएगे।वरना प्रतार तो है ही नजर आने को। चलिए नजर आने वालों को देखते रहिए टीवी पर।

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1 comment:

Anonymous said...

बहुत लंबा लंबा लिखते हो भाइयों। थोड़ा कम लिखो तो पढ़ने की भी सोचें। तुम तो पत्रकार लोग हो, एडिट करके लेख को छोटा बनाना तो तुमने सीखा ही होगा। धन्यवाद।