मीडियायुग को किसी भी तरह के व्यक्तिगत आक्छेपों से कोई सरोकार नहीं है। मीडियायुग केवल टीवी और जनसंचार माध्यमों में आई गिरावट के लिए चिंतित रहता है। और अपने लेखों में केवल उसे लेकर विषय वाचना करना चाहता है। पर चूंकि मीडिया व्यक्तियों से बना संसार है, इसलिए व्यक्तियों का सोच और निश्चयों से मीडिया के प्रवाह पर असर पड़ता है। सो कभी कभी हमें किसी विशेष के लिए कहे गए विचारों को रखना पड़ता है। लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि हम किसी संस्था या व्यक्ति के खिलाफ खड़े है। संचार माध्यमों में आई गिरावट की चिंता हमें वो बल देती है कि हम आगे बढ़े। सो अगर किसी लेख से किसी को चोट पहुंचती है तो आप इसे उदात्तता के मानक पर रखकर फैसला करें। फिर भी अगर हम बहके से लगते है तो हमें तुरंत सूचित करें। आपकी चिंता हमें सही रख सकती है।
मीडियायुग
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