गर्मी बढ़ रही है। तापमान में उबलने को पृथ्वी बढ़ रही है। ये नजारा आपको अपने आस पास दिखने लगा है। जनसंचार माध्यमों में इसकी भनक कम ही दिख रही है। क्यों। दो तारीख को इंटर-गर्वंमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज ने अपनी चौथी रिपोर्ट में साफ कह दिया कि मानव जिम्मेदार है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए। पर उस रात टीवी के केवल दो अंग्रेजी चैनलों ने खबर को दिखाया। हालांकि डीडी न्यूज ने इसे पूरी जगह दी। पर क्या थी ये खबर और क्या होंगे इसके असर ये समझना अभी भी संभव नहीं हो पाया है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए नब्बे फीसदी गतिविधियां मानवीय है। ये खतरनाक खुलासा है। जिसके नतीजे आने वाले सालों में हमें आपको देखने है। धरती के गर्म होने से केवल पर्यावरण ही नहीं बदलेगा, जिंदगी भी बदल जाएगी। हर साल एक लाख साठ हजार लोग ग्लोबल वार्मिंग से मर जाते है। और २०२० तक ये आंकड़ा दोगुना हो जाएगा। समुद्रों के स्तर बढ़ जाएंगे और समु्द्र तटीय शहरों के डूब जाने के खतरे लहराएंगे। खेती करने के माहौल बदल जाएंगे और जमीन पर हर तरह की फसल नहीं उगाई जा पाएगी। और तो और मौसमों का मजा गुजरे जमाने की बात हो जाएगी। ये बड़ी वजहें जो डराती नहीं है। बड़ी जो हैं। भई अमेरिका इराक में उत्पात मचाए, इससे हमें क्या। अंत्तर्राष्ट्रीय मामला है। वैसे ही जैसे हम ग्लोबल वार्मिंग को लेकर सोचते है। और हमारे संचार माध्यम इसे लेकर भी हमें सचेत नहीं करते। तो क्या किया जाए। आप के सवेरे जगने से लेकर रात तक आप तीन या संचार माध्यमों से किसी न किसी तरह ये जान पाते है कि ऐसा हुआ है। पर ग्लोबल वार्मिंग को लेकर अबी तक जनजागरूकता नहीं दिखती है। लोग सोचते है कि ये तो सबके साथ होना वाला असर है। जैसे एक झटके में पृथ्वी पर से आबादी का गायब हो जाना। हर रोज आप गर्म हो रहे हैं। आपके घर, कार औऱ आफिस के एसी से निकने वाला गर्म धुआं माहौल को उबलने वाला बना रहा है। और आप इसके लिए खुद को तैयार भी नहीं कर रहे है। तो क्या आप किसी चमत्कार के भरोसे है कि ग्रीनहाउस गैसों को छोड़ने वाले देश एक दिन में सब खत्म कर देंगे। या विकासशील देश, बस विकसित को कोसते रहेंगे। खतरे के सिर पर आने के बाद आप अब भी जगे नहीं है। गलती आपकी नहीं हैं, गलती माहौल को सामान्य बताने वाले संचार माध्यमों की है। देखा जाए तो टीवी पर दिन भर तमाशा खूब होता है, पर वो आपको ये नहीं बताता कि आप एक आग के बेहद पास खड़े है। देखा जाए तो रेडियो पर गाने और शब्दों का झिझला नाच हर मिनट बज रहा है, पर बातों बातों में भी वो आपको नहीं कहता कि तापमान बढ़ रहा है। क्या ये ऐसी मांग है जो नाजायज है। लगती नहीं। पर है। क्योंकि मैटेरेलिज्म का जमाना है। मोबाइल है, कार है, व्यापार है और है गर्म जिंदगी। जो झुलसने को करीब खड़ी है। देखिए कौन क्या दिखा रहा है। और इसे देखना ही आपकी नियति है। आपका रिमोट में अब बटन ज्यादा और टीवी पर खबरें कम हो गई, मालूम होती है।
“सूचक”
soochak@gmail.com
http://www.bbc.co.uk/hindi/science/story/2007/02/070202_global_warming-report.shtml
http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/1556551.cms
http://www.hindustantimes.com/2007/Feb/02/181_1918014,00050003.htm
Send your write-ups on any media on "mediayug@gmail.com"
Friday, February 09, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
इंसान की यह सबसे Basic चीज है जिसे दूर करने के प्रयास तीव्र होने चाहिए…इस जानकारी को और लोगों को भी पढ़ना चाहिए और नीजी प्रयास भी करना चाहिए!
Post a Comment