मित्रों,
हम हिंदी में आपके लेखों का स्वागत करते है। हमारी उम्मीद है कि मीडिया में उठ रहे मु्द्दों पर आपकी नजर ही आईना होगी। हमारा विचार विमर्श आगे बढ़े, इसके लिए आपकी सहभगिता महत्वपूर्ण है। मीडियायुग एक शुरूआत है, जो अपनी अंत जानता है। एक ऐसे फीडबैक व्यवस्था की कामना हमने की है, जिसके सामाजिक उत्तरदायित्व हो, जिसका सरोकार खबरों से हो, अंतरालों में आने वाले एड से नहीं। जब आपकी खबर ही नजरिया बनाए और उससे ही समाचार दिखाने वाले चैनलों की तस्वीर बनें।
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मीडियायुग
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2 comments:
मुझे एक एतराज है। अंतराल में आने वाले विज्ञापनों में भी इसी समाज की खबर छिपी होती है। बात चाहे जो भी हो, लेकिन ये मानसिकता गलत है कि न्यूज चैनल पर कमर्शिलयल ब्रेक के अंदर जो होता है विज्ञापन होता है और बाहर जो होता है वो खबर होती है। शायद आपको पता नहीं कि अब खबरों के मुलम्मे में लपेट के विज्ञापन परोसे जाते हैं और विज्ञापन में कई बार ब्रेकिंग न्यूज मिल जाती है। नए जमाने ने कई दीवारें तोड़ी हैं, जिनमें से एक ये भी है। शुभकामनाएं।
आपका ब्लॉग अच्छा लगा । यूँ ही लिखते रहिये । धन्यवाद !Please remove the word varification system.
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