Monday, July 10, 2006

नज़रबन्दी निगहबान की...

साथियों,

मीडिया में खबरों को 'हल्केपन' और उन्हे 'स्तरहीन' तरीके से लिए जाने से सोचने समझने वाला वर्ग आहत है। पर 'आहत' होने की बारी अब मीडिया की है। फैसला आ गया है कि टीवी मीडिया ने जो आलम बनाया है, उससे समाज में जो असर पड़ा है, उसे दूर करने के लिए मीडिया की निगरानी की जाएगी, कानून बनकर तैयार है, और उसे इसी मानसून सेशन में अमलीजामा पहनाया जा सकता है। जाहिर है टीवी मीडिया में चल रही तमाम गड़बड़ियों के बावजूद 'मीडियायुग' सरकार के इस बिल की भर्त्सना करता है। हम आपसे आगे आने की अपील करते है। इसी के तहत आप हमें जितने हो सकें लेख भेंजे। हम भरोसा दिलाते है कि ज्यों की त्यों छपेगी आपकी हर बात 'मीडियायुग' पर....

इस लिंक से ये परिचर्चा हम शुरू कर रहे है....

http://www.screenindia.com/fullstory.php?content_id=12961

http://www.hindu.com/2006/06/27/stories/2006062708271200.htm


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